ASI की सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद ज्ञानवापी मस्जिद में हुई पहले जुमे की नमाज

By: Shilpa Fri, 26 Jan 2024 5:04:04

ASI की सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद ज्ञानवापी मस्जिद में हुई पहले जुमे की नमाज

वाराणसी। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में तीन महीने तक ASI ने सर्वे किया था। इसकी रिपोर्ट हिंदू और मुस्लिम पक्षों को सौंप दी गई है। मुस्लिम पक्ष की तरफ से हिंदू पक्ष के दावों को एक बार फिर खारिज किया जा रहा है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी ASI की सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद ज्ञानवापी मस्जिद में पहले जुमेकी नमाज हुई। नमाज अदा करने के लिए काफी संख्या में नमाजी ज्ञानवापी मस्जिद पहुंच रहे हैं। जुमे की नमाज को लेकर कमिश्नरेट पुलिस अलर्ट मोड पर है। नमाजियों की संख्या को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। चप्पे-चप्पे पर पुलिस फोर्स की तैनाती की गई है। वहीं, किसी भी तरह की अफवाह को फैलने से रोकने के लिए पुलिस सोशल मीडिया पर भी नजर रख रही है। खुफिया विभाग को भी अलर्ट मोड पर रखा गया है। ज्ञातव्य है कि मुस्लिम पक्ष की तरफ से 839 पन्नों की रिपोर्ट अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के वकील अखलाक अहमद ने रिसीव की थी। उन्होंने हिंदू पक्ष के दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि मंदिर को तोड़कर कभी मस्जिद बनाई ही नहीं गई। वह अध्ययन के बाद ASI सर्वे रिपोर्ट के खिलाफ कोर्ट में आपत्ति दाखिल भी कर सकते हैं। मस्जिद में मिली मूर्तियां प्रमाणिक नहीं- मुस्लिम पक्ष के वकील वकील अखलाक अहमद ने कहा कि हिंदू पक्ष एक्सपर्ट नहीं है, जो किसी बिल्डिंग को देखकर बता सके कि पत्थर कितना पुराना है? ऐसा ASI की रिपोर्ट में भी नहीं लिखा है।

ज्ञानवापी मस्जिद में ASI रिपोर्ट की तस्वीरों में हिंदू देवी-देवताओं के जिक्र के सवाल पर वकील उन्होंने कहा, वे मूर्तियां प्रमाणिक नहीं हैं। वे मंदिर के मलबे में मिली होंगी। अखलाक अहमद ने कहा कि मस्जिद की एक बिल्डिंग थी, जिसे नॉर्थ यार्ड गेट के नाम से जानते थे। वहां पत्थरों की मूर्तियों को बनाने वाले पांच किराएदार रहते थे। बैरिकेडिंग के पहले पूरा एरिया खुला था। मूर्तियों के मलबे को वहां फेंक दिया जाता था। उस मलबे में ही मूर्तियों को पाया गया होगा। यह प्रमाणिक बात नहीं है।

हिंदू पक्ष का दावा- तहखाने में मूर्तियों को मिट्टी से दबाया गया वहीं, हिंदू पक्ष ने ASI की रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि पिलर्स और प्लास्टर को थोड़े मॉडिफिकेशन के साथ मस्जिद के लिए फिर से इस्तेमाल किया गया है। साथ ही पिलर के नक्काशियों को मिटाने की कोशिश की गई। यहां पर पुराने हिंदू मंदिर के 32 ऐसे शिलालेख मिले हैं, जो देवनागरी, ग्रंथतेलुगू, कन्नड़ भाषा में लिखे गए हैं। हिंदू पक्ष वकील ने कहा कि महामुक्ति मंडप यह बहुत ही महत्वपूर्ण शब्द है, जो इसके शिलालेख में मिला है। सर्वे के दौरान एक पत्थर मिला शिलालेख मिला, जिसका टूटा हुआ हिस्सा पहले से ASI के पास था। पहले के मंदिर के पिलर को दोबारा से इस्तेमाल किया गया है। वहीं, तहखाने में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां मिली हैं, जिन्हें नीचे मिट्टी से दबा दिया गया था। पश्चिमी दीवार हिंदू मंदिर का ही हिस्सा है। यह पूरी तरीके से स्पष्ट है। 17वीं शताब्दी में हिंदू मंदिर को तोड़ा गया और इसके विध्वंस किए हुए मलबे से ही वर्तमान ढांचे को बनाया गया।

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